टैली का परिचय
किसी भी बिज़नस को ठीक ढंग से चलाने के लिए आवश्यक लाभ लेने के लिए ज़रूरी है की हम तरीके से उसका हिसाब रखे पहले ये कार्य पूरी तरह से मेनुल होता था, परन्तु आज ये सारा काम कंप्यूटर की मदद से संचालित किया जा रहा है !
अब बात आती है हिसाब की तो हिसाब का तात्पर्य यहा एंट्री से है आर्थात अगर आप बिज़नस का हिसाब रखना चाहते है तो आपको सबसे पहले एंट्री करना होगा और ये एंट्री आप दो तरह से कर सकते है
1 मेनुअल
2. कंप्यूटर
मेनुअल एंटी करना मतलब हाथो से एंट्री करना रजिस्टर पर जबकि कंप्यूटर एकाउंटिंग का अर्थ एकाउंटिंग या एंट्री करना कंप्यूटर पर, मेनुअल एकाउंटिंग जहा हम घंटो या दिनों मे करते थे वही कंप्यूटर एकाउंटिंग हम बिना किसी गलती के मिनटों में कर सकते है I
कंप्यूटर पर एंट्री (या एकाउंटिंग ) करने के लिए हमे एक एकाउंटिंग सॉफ्टवेर की ज़रुरत होती है और टैली उसी तरह का एक एकाउंटिंग सॉफ्टवेर है, टैली एकाउंटिंग सॉफ्टवेर की खास बात ये है की इस पर एकाउंटिंग बड़ी आसानी से की जा सकती है और ये भारत और बहार के कई देशो में सबसे ज्यादा लोकप्रिय एकाउंटिंग सॉफ्टवेर है !
टैली एकाउंटिंग सॉफ्टवेर के अलावा और भी एकाउंटिंग सॉफ्टवेर है जेसे TALLY, MARG, QUICK
BOOKS, M-PROFIT, BUSY, ETC
Terminology of accounting in Hindi
लेखानाकं की पारिभाषिक शब्दावली:-
- Trade(व्यपार )
- Profession (पेशा )
- Business (व्यवसाय)
- Owner (मालिक)
- Capital(पूंजी)
- Drawing (अहरण)
- Purchase (मालखरीदना )
- Sales (माल बेचना )
- Purchase Return (क्रय बापसी )
- Sales Return (विक्रयबापसी )
टैली नोट्स इन हिंदी Tally Notes in Hindi .
- 1.) Trade लाभ कमाने के उद्देश से किया गया वस्तुओ का क्रय विक्रय व्यपार कहलाता है अर्थात किसी से 1000/- रूपए में माल ख़रीदा और उसे 1200/- रूपय में बेचा तो यह २०० रूपए का लाभ लिया गया इसे ट्रेड करना बोला जायेगा I
- 2.) Profession - ऐसा कोई वैधानिक कार्य जिसे करने से पूर्व अभ्यास की आवश्यकता हो और जिस कार्य से आय अर्जित हो पेशा कहलता है अर्थात जेसे अगर कोई गाना गाता है तो गाना गाना उसका शोक है,लेकिन अगर वह गाने गाकर पेसे कमाता है तो वह उसका प्रोफेशन या पेशा कहलायेगा I
- 3.) Business : - बिज़नस एक ब्यापक शब्द है जिसमे Trade और Profession दोनों आते है अर्थात किसी जगह पर जहा खरीदी बिक्री के साथ प्रोफेशनल लोग भी कम पर लगे होते है बिज़नस कहलाता है |
- 4.) Owner - मालिक वह होता हैजो बिज़नस मेंपैसा लगता हैऔर बिज़नस का संचालन करता है ,मालिक कहलाता है |मालिकतीन तरह केहोते है -
ii) साझेदार या Partners : जब दो या दो से ज्यादा लोग बिज़नस में पैसा लगते है और बिज़नस के लाभ और हानि के उत्तरदायी होते है पार्टनर्स कहलाते है किसी बिज़नस में २० तक साझेदार हो सकते है |
(iii) अंशधारी या Shareholder: किसी बिज़नस में जब २० से ज्यादा लोग हिस्सेदार हो तब वह अंशधारी कहलाते है अर्थात अंश्भर के मालिक होते है|
- 5.) Capital पूंजी : मालिक जो पैसा बिज़नस में लगता है उसे पूंजी बोला जाता है यह पूंजी केश या सम्पति के रूप में हो सकती है|
- 6.) Drawing या आहरण :- मालिक अपने निजी खर्चो केलिए व्यपार से जब पेसे निकलता है तो उसे मालिक के निजी खर्चे या आहरण बोला जाता है |अर्थात किसी व्यापरी के कपड़ो की दुकान है दिवाली आने पर उसने कपड़े आपने ही दुकान से ले लिए तो इसे हम आहरण करना बोलेंगे अपनी की कैपिटल से पेसे या सामान लेना drawing कहलाता है |
- 7.) Purchase : Purchase का अर्थ माल खरीदना जो माल बेचने के लिए ख़रीदा जाए उसे हम Purchase कहेते है | ;याद रहे टैली में भवन खरीदना , फर्नीचर खरीदना Purchase करना नही कहलाता है , Purchase का अर्थ केवल स्टॉक या माल खरीदना जिसे बेचा जायेगा
- 8.) Sales : बिज़नस द्वारा जब कोई माल बेचा जाये उसे हम सेल्स या माल बेचना बोलेंगे और टोटल सेल्स को टर्नओवर कहा जाता है |
- 9.) Purchase Return : जब हम कोई माल किसी से ख़रीदे और किन्ही कारणों से माल में कोई खराबी या गलत माल आने पर उस माल को बापस करना, क्रय- वापसी या purchase Return कहालायेगा|
- 10.) Sales Return : जब कोई माल बेचा जाये और बेचे गये माल में कुझ खराबी मिलने पर या गलत माल जाने पर आप उस माल को वापस लेंगे तो या विक्रय वापसी या सेल्स return कहलायेगा|
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Terminology of Accounting in Hindi (Accounting Words)
- Stock(रहतिया )
- Creditors(लेनदार )
- Debtors(देनदार )
- Asset(सम्पति)
- Fixed Assets(स्थायी सम्पति)
- Current Assets (अस्थायी सम्पति )
- Liabilities (दायित्व )
- Fixed Liabilities or long term Liabilities (स्थयी)
- current Liabilities or Sort term Liabilities( अस्थायी)
- Income(आय)
- Direct Income (प्रतक्ष्य आय )
- Indirect Income(अप्र्ताक्ष्य आय )
- Expenses (खर्चे )
- Direct Expenses (प्रतक्ष्य व्य )
- Indirect Expenses(अप्रतक्ष्य व्य )
- Revenue (राजस्व )
Stock :- हमारे पास वर्त्तमान में जो भी मॉल रखा होता है वह हमारा स्टॉक कहलाता है साल के अंत में जो मॉल बिना विके रहा जाता है उसे उस साल का अंतिम रहतिया closing stock कहा जाता है और साल के पहले दिन वही मॉल प्रारम्भिक रहतिया opening
stock कहलाता है|
Creditors : वह व्यक्ति या संस्था जो किसी दूसरे व्यक्ति या संस्था को उधार मॉल या सेवाए बेचती है या रुपया उधार देती है लेनदार या creditors कहलाते है |संझेप में उधार माल बेचने वाला क्रेडिटर कहलाता है |
उदहारण के लिए विनय ने अशोक को 5000/- रूपए का माल बेचा, तो यहा विनय क्रेडिटर कहलायेगा |
Debtors : वह व्यक्ति या संस्था जो किसी दूसरे व्यक्ति या संस्था से उधार मॉल या सेवाए खरीदता है या रुपया उधार लेता है देंनदार या Debtors कहलाते है | संझेप में उधार माल खरीदने वाला डेबिटर कहलाता है |
उदहारण के लिए विनय ने अशोक को 5000/- रूपए का माल बेचा, तो यहा अशोक Debtors कहलायेगा | क्यंकि अशोक ने माल ख़रीदा |
Liabilities स्वामी के धन के अतिरिक्त बिज़नेस का वित्तीय दायित्व(कर्जे) लाइबिलिटी कहलाता है। वह, धन जो व्यावसायिक उपक्रम को दूसरों को देना है, दायित्व कहा जाता है ,इस प्रकार दायित्व देयताएँ हैं, ये सभी राशियाँ हैं, जो लेनदारों को भविष्य में देय हैं। उदाहरण- लेनदार, देय बिल, ऋण एवं अधिविकर्ष इत्यादि Long term Liabilities (Fixed Liabilities)
Creditors : वह व्यक्ति या संस्था जो किसी दूसरे व्यक्ति या संस्था को उधार मॉल या सेवाए बेचती है या रुपया उधार देती है लेनदार या creditors कहलाते है |संझेप में उधार माल बेचने वाला क्रेडिटर कहलाता है |
उदहारण के लिए विनय ने अशोक को 5000/- रूपए का माल बेचा, तो यहा विनय क्रेडिटर कहलायेगा |
Debtors : वह व्यक्ति या संस्था जो किसी दूसरे व्यक्ति या संस्था से उधार मॉल या सेवाए खरीदता है या रुपया उधार लेता है देंनदार या Debtors कहलाते है | संझेप में उधार माल खरीदने वाला डेबिटर कहलाता है |
उदहारण के लिए विनय ने अशोक को 5000/- रूपए का माल बेचा, तो यहा अशोक Debtors कहलायेगा | क्यंकि अशोक ने माल ख़रीदा |
Liabilities स्वामी के धन के अतिरिक्त बिज़नेस का वित्तीय दायित्व(कर्जे) लाइबिलिटी कहलाता है। वह, धन जो व्यावसायिक उपक्रम को दूसरों को देना है, दायित्व कहा जाता है ,इस प्रकार दायित्व देयताएँ हैं, ये सभी राशियाँ हैं, जो लेनदारों को भविष्य में देय हैं। उदाहरण- लेनदार, देय बिल, ऋण एवं अधिविकर्ष इत्यादि Long term Liabilities (Fixed Liabilities)
Sort term Liabilities(Current Liabilities ) वे दायित्व है जो बिज़नस को एक साल के अंदर चुकाना होता है| जेसे लेनदार
Income : आय आगम में से व्यय घटाने पर जो शेष बचता है,उसे आय (Income) कहा जाता है। व्यावसायिक गतिविधियों अथवा अन्य गतिविधियों से किसी संगठन के निवल मूल्य में होने वाली वृद्धि इनकम होती है। इनकम एक व्यापक शब्द है जिसमें लाभ भी शामिल होता है।आय = आगम – व्यय
(Revenue - Expenses)
Direct Income : वह आय जो मुख्य व्यापर से आये उसे हम Direct Income कहते है |उदहारण के लिए अगर किसी की कपड़ो की दुकान है तो उसकी डायरेक्ट इनकम कपडे बेचकर मिले वाली इनकम होगी
Indirect Income : मुख्य व्यवसाय के आलावा अगर कही से भी पेसे आये उसे हम indirect income कहते है | उदाहरण के लिए आपके कपड़ो की दुकान है और आप के पास कुझ जगह ज्यादा है तो आपने आधी जगह किराये पर दे दी तो अब इसे आने वाला पैसा या लाभ INDIRECT इनकम है|
Expenses (व्यय) : Expenses का अर्थ है खर्चो से जो, देनिक,साप्ताहित,और महीने आदि में होते है |प्रयोग की गई वस्तुओं एवं सेवाओं की लागत को व्यय कहते हैं। ये वे लागते होती है जिन्हें किसी व्यवसाय से आय अर्जित करने की प्रकिया में व्यय किया जाता है। सामान्यत: एक्सपेसेंज को किसी अकाउंटिंग अवधि के दौरान असेट्स के उपभोग अथवा प्रयुक्त की गई सेवाओं की लागत से मापा जाता है। उदाहरण :-विज्ञापन व्यय, कमीशन, ह्रास, किराया, वेतन, मूल्यहास, किराया, मजदूरी, वेतन, व्याज टेलीफोन इत्यादि
Direct Expenses: किसी माल के उताप्दन से लेकर उसे विक्रय योगय स्थिति में लाने तक जो भी खर्च्र होते है उने Direct Expenses कहा जाता है | उदारण फक्ट्री बिल ,मजदूरी ,फैक्ट्री किराया , (wages), सामन लाने का किराया आदि
Indirect Expenses : कार्यलय से सम्धित सभी खर्चे Indirect Expenses कहलाते है जेसे ऑफिस का किराया ,लाइट का बिल आदि |Revenue आय):यह व्यवसाय में कस्टमर्स को अपने उत्पादों की बिक्री से अथवा सेवाएँ उपलब्ध कराए जाने से अर्जित की गई राशियाँ होती हैं। इन्हें सेल्स रेवेन्यूज कहा जाता है। कहीं व्यवसायों के लिए रेवेन्यूज के अन्य आइटम्स एवं सामान्य स्त्रोत बिक्री, शुल्क, कमीशन, व्याज, लाभांश, राॅयल्टीज,प्राप्त किया जाने वाला किराया इत्यादि होते हैं।
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